फ़िलबदीह 145 से
ज़िन्दगी को और हिम्मत चाहिए।
अब अदब की ही इनायत चाहिए।
नेक नीयत मर्द के हो ख़ून में,
औरतों को ये हिफाज़त चाहिए।
एक पक्की सैकड़ों कच्ची न हों,
सब घरों में एक सी छत चाहिए।
लखपती हैं जात उनकी ख़ास है,
इसलिये उनको मुरव्वत चाहिए।
शायरी में बादशाहत का जुनूँ,
ऐ ख़ुदा अब और ग़ुरबत चाहिए।
-प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून'
फतेहपुर उ.प्र.
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