समीक्षार्थ:
मुझे अपना बनाना चाहता है।
समझ ले एकतरफ़ा रास्ता है।
मुझे ठोकर लगी उनको ख़बर है,
तभी से रुख़ ज़रा बदला हुआ है।
ख़ुदा से दुश्मनी कैसे नहीं हो?
मियां उसका जवाँ लड़का मरा है।
तुम्हारी बात उम्मीदों भरी है,
जवाँ तासीर उम्दा ज़ायका है।
हमारी गुड़ तुम्हारी चॉकलेटी,
ज़ुबाँ में वक़्त वाला फासला है।
-प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून'
फतेहपुर उ.प्र.
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