Tuesday 26 April 2016

हाइकु बैलों के

माटी की गोदी
बैलों का श्रम बोये
मोती ही मोती

बैलों की जोड़ी
अथक परिश्रम
बरसे अन्न

ऐसी प्रगति
बैल बेरोज़गार
वक़्त की मार

ग़ुम हो गई
ट्रैक्टर के शोर में
बैलों की घंटी

Tuesday 19 April 2016

क से किसान

     'क' से किसान
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मैं 'क' से किसान हूँ
'ख' से खेती करता हूँ
'ग' से गाँव में रहता हूँ
और......
अब आप सोचेंगे 'घ' से क्या..?
तो सुनिये
'घ' से घोषणाएँ सुनता हूँ सरकारी
'क' से किसान
जो कहने को तो
आता है सबसे पहले
लेकिन वास्तविकता....
मैं हूँ 'ङ' जिसके माने होता है
कुछ नहीं....कुछ भी नहीं
नयी तकनीक ने छीन
लिया है मुझ 'क' से
जो था मेरे  पास
डंडा भी और पूँछ भी
लेकिन 'ङ' बनकर
पंक्ति के सबसे अंत में
बैठे हुये
एक चीज़......शून्य
पहले भी था
और अब भी है मेरे पास
   
-प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून'
      फतेहपुर उ.प्र.
      08896865866