Sunday 21 February 2016

गौमाता

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तुम्हारी हो सदा ही जय कहें समवेत गौमाता।
पड़े शुभ पग जहाँ पर भी सुखद संकेत गौमाता।

बनें मन और तन दोनों शरण में जो तुम्हारी हो,
तुम्हें माँ मान पीता पय तुम्हारा श्वेत गौ माता।

जहाँ तू है वहाँ भूखा भला कैसे रहे कोई?
धरा उर्वर बना दे तू जहाँ हो रेत गौमाता।

तुम्हारे पञ्च अमृत से निरोगी हो रहे घर भी,
तुम्हारी ही कृपा से अन्न उगलें खेत गौ माता।

घरों में स्वस्थ्य बच्चे खेलते हैं राम लक्ष्मण-से
हमारा गाँव तुमसे ही बना साकेत गौमाता।

-प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून'
फतेहपुर उ.प्र.

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