Wednesday 25 May 2016

गुज़रा नहीं रहता

ये मुमकिन ही नहीं नायाब इक रुतबा नहीं रहता।
अगर मैं मुश्किलों में इस क़दर उलझा नहीं रहता।

बचा के रख लिये हैं गाँठ में मैंने ज़रा पैसे,
सुना है ये नहीं रहता तो फिर रिश्ता नहीं रहता।

सफ़र में हर क़दम पर आँख अपनी खोल के रखिये,
गुनाहों का हमेशा एक-सा चेहरा नहीं रहता।

अगर अपना हुनर सूरज सितारों को बता देता,
उजाला बाँटने को तब वही तन्हा नहीं रहता।

उसे गुल का महकना भी नहीं महसूस होता है,
कँटीले रास्तों से जो कभी गुज़रा नहीं रहता।
   -प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून'
   फतेहपुर उ.प्र.
   08896865866

Tuesday 24 May 2016

तालाब

तालाब:पाँच कवितायेँ
(१)
बहुत ज़रूरी है
मेरे गाँव के तालाब का
ज़िंदा रहना
क्योंकि यह तालाब
मात्र  गड्ढा नहीं
यह हृदय है इस गाँव का
जो सहेजता है
और संचारित करता है
जीवनदायी तरल
अनवरत।

(२)
एक बुज़ुर्ग तालाब
है बहुत उदास
जिसने देखी हैं
कई पीढ़ियाँ
अफ़सोस
अब उतरते नहीं
बच्चे इसकी सीढ़ियाँ
सूखा मन
धीरे धीरे सिकुड़ता तन
किंकर्तव्यविमूढ़ सा
दर्द सह रहा है
इसके हिस्से का पानी
बेतरतीब बह रहा है।

(३)
तुमसे पूछेंगी पीढ़ियाँ
क्यों नहीं बचाये तालाब
हम बूँद बूँद को तरसे
बोलो....
इतने दिनों से
बादल क्यों नहीं बरसे
तुम्हारे कुकर्मों का फल
हम भोग रहे हैं
तुमने पाट दिए तालाब
हम अपनी कब्रें खोद रहे हैं।

(४)
तालाब ढूँढने आये हो
मत ढूँढो
वे मर चुके हैं
अगर हिम्मत है
तो खोद डालो
ये सोने के महल
इन्हीं के नीचे दफ़्न है
तुम्हारे प्रिय तालाब।

(५)
ख़त्म हो चुकी
तालाब की उम्मीदें
टूट चुका सब्र का बाँध
तालाब का अस्तित्व
मिटाने को
लोग चल रहे हैं सारे दाँव
उखड़ रहे हैं
तालाब के पाँव
   -प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून'

Thursday 19 May 2016

फुरसतिया

        फुरसतिया
         ----------------
-प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून'

चुनाव के परिणाम देखकर मैं दंग तो बिल्कुल नहीं हुआ क्योंकि पता था कमान राहुल गाँधी के हाथ में है। वैसे अब भाजपा वाले भी राहुल भइया से प्यार करने लगे हैं । महात्मा गाँधी के लिए लिखा गया था चल पड़े जिधर दो डग मग में चल पड़े कोटि पग उसी ओर अब वर्तमान गाँधी के साथ इसका बिल्कुल उल्टा हो रहा है ऐसा क्यों??????
ख़ैर मेरी समझ में तो आने से रहा! मैं पहुँच गया फुरसतिया के पास।
फुरसतिया ने पानमसाले की पीक मारी और बोला यार य तो बहुतै आसान सवाल है राहुल म कउनो कमी नहीं आय। कमी हवे उनके नाम म।
मैं चकित होते हुए बोला वो कैसे?
फुरसतिया ने सौ टके की बात कही।
नाम है राहुल मतलब 'राहु' + 'ल' समझेव?????
कुच्छ नहीं बेटवा नाम बदलो समझो काम होइगा!!!!!
मैं सर खुजलाते हुए लौट पड़ा।

Monday 16 May 2016

फुरसतिया

यार ये बग़दादी नाम कैसे पड़ा होगा? प्रवीण प्रसून के दिमाग़ में फतेहपुरिया फ़ितूर कौंधा।
काफ़ी कपालभांति के बाद जब कुछ पल्ले नहीं पड़ा तो पहुँच गए फुरसतिया के पास।
फुरसतिया ने पहले पान मसाले की पीक मारी फिर समझाया य तो बहुतै आसान सवाल है। बगदादी  आतंकी किरवा(कीड़ा) पालै वाला मनई। असल नाम है bug daddy। तुम्हरे अइस हिन्दी के पढ़ेरी बग दादी पढ़ि लिहिन। होइगा.....
मैं सर खुजलाते हुए लौट पड़ा।

छोटी मछली

Sunday 15 May 2016

इश्तेहार लाया हूँ


नफरतों का ग़ुबार लाया हूँ।
मैं ज़ुबाँ में कटार लाया हूँ।

नाम हो जाय अदब में मेरा,
एक चेहरा उधार लाया हूँ।

पंख रंगीन और मिल जाएं,
एक सियासी बयार लाया हूँ।

अम्न वाली ज़मीं में बो देना,
भर के मुट्ठी में ख़ार लाया हूँ।

धर्म वाली दुकान में टाँगो,
मुफ़्त के इश्तेहार लाया हूँ।

Tuesday 10 May 2016

दोहे

हमें न डिग्री चाहिये, हो विकास भरपूर।
क्यों कबिरा को पूजते, थे मसि कागद दूर।

बीटेक एमटेक बाद कुछ, मचा रहे आतंक।
लेकर डिग्री देश को, मार रहे हैं डंक।

डिग्री लेकर सोचते, बन बैठे हम बाप।
अभी और मेहनत करो, बेटा ही हो 'आप'।

सुनो केजरीवाल तुम, है तुममें उलझाव।
मोदी की डिग्री सुनो! राष्ट्रभक्ति का भाव।

बेमतलब की बात को, मत दो ऐसे तूल।
पीएम मोदी सा हमें, सौ सौ बार क़बूल।

अन्ना के विश्वास पर, दिये अँगूठा मार।
सबकी डिग्री लग रही, अब इनको बेकार।
    प्रवीण श्रीवास्तव 'प

Saturday 7 May 2016

जननी भारत माता

राणा के भाले ने रच दी ऐसी गौरव गाथा।
धन्य हो गई वीर प्रसूता जननी भारत माता।

पिता उदय सिंह महाराज माता जयवंता बाई,
शिशु प्रताप को स्वाभिमान की घुट्टी गयी पिलाई,
सर कट जाये चाहे लेकिन झुके न अपना माथा।

आतताइयों को उनकी ही भाषा में समझाया,
शेरों ने गीदड़ सेना को जमकर धूल चँटाया,
राणा ने हल्दीघाटी में वो इतिहास रचा था।

गढ़चित्तौड़ खड़ा है अब तक देखो सीना ताने,
सुना रहा है नव पीढ़ी को किस्से वही पुराने,
जिस पौरुष ने अपनी माटी का अभिमान रखा था।

चेतक ने भी राजपुताना पौरुष बल दिखलाया,
स्वामिभक्ति में सबसे ऊपर अपना नाम लिखाया,
युद्धकुशलता और बुद्धि में वह मालिक जैसा था।

समय माँगता है अब फिर से राणा वाला पौरुष,
आतंकी का चोला पहने दुश्मन आया फिर घुस,
दिखला दो राणा प्रताप ने कैसा युद्ध लड़ा था।
      -प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून'
       फतेहपुर उ.प्र.

Thursday 5 May 2016

मशविरा करे कोई


इश्क की जो हवा करे कोई।
दर्द से क्यूँ मरा करे कोई ।

चूम ले आसमान का चेहरा,
यूँ लहर भी उठा करे कोई।

धूप में भी ज़मी हरी रक्खे,
पौध ऐसी उगा करे कोई ।

हो सितारे ज़मीन पे रोशन,
रात से मशविरा करे कोई।

रास्ता छोड़ कर वफ़ा वाला,
किस तरह सामना करे कोई।

आँधियाँ कुछ न कर सकीं मेरा,
चुपके चुपके दुआ करे कोई।

कोई मुट्ठी में किस्मतें लाया,
हाथ अपने मला करे कोई।
    :प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून

Sunday 1 May 2016

पाँच हाइकु

1.
विकास पथ
ऊँच-नीच का भाव
खींचता पाँव
2.
जीवन पथ
धूप-छाँव समेटे
बढ़ सतत
3.
मन सँजोये
श्वेत-श्याम तस्वीरें
बीते दिनों की
4.
जिंदगी ट्रेन
बनते-बिगड़ते
रिश्ते हज़ार
5.
एक ही राह
मंज़िल कब्रगाह
धनी-निर्धन