Tuesday 30 April 2013

राक्षस


स्वीटी को नींद नहीं आ रही थी।वह मेरे बगल में लेटी पता नहीं क्यूँ उदास सी छत को निहार रही थी।
"सो जाओ स्वीटी कल स्कूल नहीं जाना है क्या?सेवेंथ में पहुँच गई हो अब बंक  नहीं चलेगा,डेली स्कूल जाना है।चलो आँखें बंद करो और सो जाओ।"
"नींद नहीं आ रही है मम्मी" स्वीटी मेरी ओर  करवट बदलते हुए बोली।
"अच्छा  बेटा कहानी सुनोगी "
स्वीटी चहक उठी "हाँ मम्मी सुनाओ ना।"
"ठीक है मैं कहानी सुना रही हूँ तुम सुनते-सुनते सो जाना ठीक है।" 
"ओ.के . मम्मी"स्वीटी ने सर  हिलाया.
"मेरा प्यारा बेटा" मैंने स्वीटी के माथे को  चूम लिया, और कहानी सुनाने लगी-"एक था राजा।उसकी एक प्यारी सी बेटी थी।जिसका नाम था राजकुमारी प्रियंवदा।वह बहुत सुन्दर और प्यारी थी।बिलकुल तुम्हारे जैसी ......" मैं रुकी तो स्वीटी बोल उठी "मम्मी आगे सुनाओ ना! "
"हाँ हाँ सुनाती हूँ",मैंने कहानी आगे बढाई एक दिन दोपहर में खेलते-खेलते वह बाग  में पहुँच गई। वहाँ एक राक्षस रहता था।
स्वीटी बीच में ही बोल पड़ी-"फिर क्या हुआ मम्मी क्या राक्षस ने राजकुमारी प्रियंवदा के साथ रेप किया ...और वह मर गई!मम्मी ये रेप क्या .....? मैं जोर से चिल्लाई "ये सब तुम्हे किसने बताया?"
"वो मम्मी टी.वी . पर ........" स्वीटी चुप हो गई।
"चुपचाप कहानी सुनो",मैंने आगे सुनाना शुरू किया-राजकुमारी बाग़ में एक  आम के पेड़ के नीचे पहुंची उसने पेड़ पर देखा तो…"स्वीटी सुन रही हो ना! मैंने  कहानी रोक कर पूछा।स्वीटी तो सो चुकी थी,लेकिन मैं ......रात भर छत निहारती रही।              copyright@प्रवीण कुमार श्रीवास्तव