Tuesday 21 February 2017

दोहे

जड़ को भी भाया नहीं, छल,पाखण्ड, प्रपंच।
ठगबंधन के  बोझ  से टूटा  देखो मंच।।
     : प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून'

Monday 20 February 2017

दोहे

दोनों को सँग देखकर, कुछ यूँ कहें 'प्रसून'।
यूपी के सौभाग्य से, "गंजे को नाखून" ।।
स्वार्थपूर्ति को टेक दें, रावण के दर माथ।
यू पी को सब है पता, कैसा है ये साथ!!
कुछ दिन पहले दिख रहा, था यू पी बेहाल।
खुदगर्ज़ों के हाथ से , मारे गए सवाल।।

Saturday 18 February 2017

मैत्री भाईचारा के प्रचार प्रसार में सोशल मीडिया कितनी सफल कितनी असफल

समाज का बदलता परिवेश, जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु भागदौड़ की ज़िंदगी एवं रहन सहन के बदलते ढंग सभी ज़िम्मेदार हैं हमारे जीवन में समयाभाव के लिए।
    शहर तो एकाकी जीवन और परिवार तक ही सीमित संबंधों के लिये बदनाम थे ही यहाँ तक कि गांवों से भी चौपाल परम्परा समाप्त हो चुकी है।
     ऐसे दौर में सोशल मीडिया निश्चित ही एक मज़बूत और व्यापक मंच के रूप में हमारे सामने है, जिसका सदुपयोग करके हम मैत्री संबंधों को गढ़ सकते हैं और अनवरत प्रवाहमान भी बनाये रख सकते हैं।
   सोशल मीडिया हमें अपने विचारों के अनुकूल मित्र ढूंढने में हमारी सबसे अधिक सहायता करता है। इन मैत्री संबंधों को निभाने एवं आभासी दुनिया से निकाल कर वास्तविकता के धरातल पर लाने की ज़िम्मेदारी हमारी है।
       यदि हम खुले मन से सोशल मीडिया में विचरण करें और एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान रखें किसी प्रकार की छुपी अवधारणा, दुराग्रह आदि को सोशल मीडिया पर न उड़ेलें तो हम भाईचारे को समाज में स्थापित करने में सहायक होंगें।
      बाधाएं तो यहाँ भी हैं जहाँ फूल हैं तो काँटों की भी कमी नहीं है। एन केन प्रकारेण अपने स्वार्थों की पूर्ति का ध्येय लेकर सोशल मीडिया में स्वच्छन्द घूमने वाले असामाजिक तत्व भी कम नहीं हैं। ऐसे लोगों से दूरियाँ बनाना, समाज में अलगाव का बीज बोने का उद्देश्य रखने वाली पोस्ट को हतोत्साहित करना भी हमारी ज़िम्मेदारी है। 
             सदुपयोग से भाईचारे के प्रचार प्रसार में सोशल मीडिया जितनी प्रभावशाली और सफल है, उतनी ही दुरुपयोग करने पर घृणा और ईर्ष्या फैलाने में भी।
    हम कह सकते हैं कि ये बंदूक रक्षण एवं भक्षण दोनों का काम कर सकती है। मानवता का रक्षण या दानवता का संरक्षण , दोनों विकल्प सम्मुख हैं।
           नकारात्मकता को हतोत्साहित करते हुए सकारात्मकता को अनुकूल वातावरण प्रदान करते हुए सोशल मीडिया को अपनाना चाहिये।
       नई पीढ़ी इसे पूर्ण रूपेण अपना चुकी है और सहज है। अनुशासन की हर जगह आवश्यकता होती है।नई पीढ़ी को इसके सभी पहलुओं से वाकिफ़ कराना चाहिये। सौहार्द क़ायम हो मैत्री को बढ़ावा मिले और हम सब साथ साथ बढ़ें यही ध्येय हो।
                        :प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून'
                        फतेहपुर उ.प्र.
                      08896865866

Tuesday 14 February 2017

गीत समर्पित करता हूँ

प्रेम पर्व पावन बेला पर, गीत समर्पित करता हूँ।
जीवन का क्षण क्षण मैं तुमको, मीत समर्पित करता हूँ।
देने को तो शायद तुमको
और न कुछ मैं दे पाऊँ
नौका प्रिये गृहस्थी की भी
मुश्किल से ही खे पाऊँ
ये उपहार तुम्हारे प्रति है, प्रीत समर्पित करता हूँ।
इन संघर्ष भरी राहों पर
कब तुमने वैभव चाहा !
मात्र प्रेम ही माँगा तुमने
प्रेम गीत सुनना चाहा
हृद-वीणा की धड़कन लो,संगीत समर्पित करता हूँ।
संग रही झंझावातों में
हर मुश्किल में साथ दिया
रहा हाथ में हाथ तुम्हारा
मुझे हारने नहीं दिया
जो भी मेरे हिस्से आयी, जीत समर्पित करता हूँ।
      :प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून'

Monday 13 February 2017

साबित होई छ्वाट जब, गठबंधन का जोड़।
इक दुसरे की खोपड़ी, लिहो ठीकरा फोड़।।

का चिंता  युवराज का, जब जइहैं ईं हार।
ज़िम्मेदारी के बरे, बहुत बइठ तइयार।।
    

Tuesday 7 February 2017

दोहा


सत्ता, सन्त-समाज बिच, रेखा का अब अन्त।
राजनीति में साथ हैं, दोनों सन्त-असन्त।।
       प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून'

Monday 6 February 2017

दोहे

थोड़ी   मेरे   पास   हैं ,  थोड़ी   तेरे  पास ।
चल जनता के सामने ,फिर से डालें घास।।
सारी अंदर की ख़बर, पहुँच चुकी है गाँव।
ज़्यादा दूर न जायगी, गठबंधन की नाव।।
साथ-साथ अब आ गये, राहुल सँग अखिलेश
कह 'प्रसून' जग जाइये, जहाँ झूठ तँह क्लेश