बिनु मसि बिनु कागद
प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून' का साहित्य को समर्पित ब्लॉग
Labels
कविता
कुंडलियाँ
क्षणिका
ग़ज़ल
गतिविधियाँ
गीत
घनाक्षरी
चित्रवीथिका
चुनावी चोखा
तांका
दोहे
मुक्तक
लघुकथा
व्यंग्य
शेर
हाइकू
हाइगा
Friday 12 November 2021
कई रातें गुजारीं याद में सोया नहीं हूं मैं
अभी उम्मीद बाकी है तभी खोया नहीं हूं मैं
मैं टूटा काँच हूँ लेकिन अभी बिखरा नहीं हूँ बस
कसम दी है किसी ने इसलिये रोया नहीं हूं मैं
Newer Posts
Older Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)