बिनु मसि बिनु कागद
प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून' का साहित्य को समर्पित ब्लॉग
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Friday 12 November 2021
कई रातें गुजारीं याद में सोया नहीं हूं मैं
अभी उम्मीद बाकी है तभी खोया नहीं हूं मैं
मैं टूटा काँच हूँ लेकिन अभी बिखरा नहीं हूँ बस
कसम दी है किसी ने इसलिये रोया नहीं हूं मैं
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