Sunday 29 March 2020

इधर महल में बंद हो गये
सोच लिया सब ठीकठाक है
उधर शकुनि षडयंत्र कर गया

कूटनीति या कुटिल नीति है
भद्रजनों  पर   जो  भारी  है
सूक्ष्म युद्ध से  महानाश  हो
इसकी   पूरी    तै यारी    है

राजलोभ में धर्म मर गया

सबको एक खिलौना समझा
तुम भी एक खिलौने  ही  हो
बड़ा समझने लगे  स्वयं  को 
मनुज अभी तुम बौने ही  हो

क्यों इतना अभिमान भर गया!

क्या   होगा भावी  ना  जाने
आशंका  पर   आशंका   है
चाल कौरवों ने तो  चल  दी
देखें हाथ विदुर के क्या  है?

सोच-सोच मन और डर गया
    प्रवीण प्रसून