Wednesday 10 October 2012

गंगास्नान

गाँव के सभी लोग आज सुबह से ही बहुत प्रसन्न थे पूरे गाँव में चहल-पहल थी हो भी क्यों ना आखिर साल में एक ही बार तो सारे लोग साथ में गंगास्नान के लिए जा पाते हैं.ठीक आठ बजे ही ट्रैक्टर गाँव के किनारे वाले मंदिर के सामने खड़ा हो गया.धीरे धीरे औरतें मर्द बच्चे सभी आकर ट्रैक्टर में बैठने लगे.थोड़ी ही देर में पूरी ट्राली भर गई और गंगा मैया की जय की गूँज के साथ ट्रैक्टर चल पड़ा औरतें ढोलक मंजीरा झांझ के साथ आई थीं लोकगीत शुरू हो गया....हो गंगा मैय्या जय होय,जैहो तुम्हार .......माई धोय देओ पाप हमार हो गंगा मैय्या. पहुँचते ही लोग ट्रैक्टर से उतर कर कर घाट की तरफ बढ़ने लगे अचानक ठाकुर साहब एक जगह ठिठक गए.वहां पर लगे एक सूचना पट को देर तक निहारने के बाद जोर से बोले देखो भाई यहाँ लिखा है कि कोई गंदगी नहीं करेगा और ना ही फूल पत्ती, सिक्के गंगा में डालेगा.इतना सुनते ही औरतों में खुसर-फुसर शुरू हो गई "हुंह बड़े आये पढ़इय्या अइसे कईसे होई फुसफुसाते हुए सब घाट कि तरफ बढ़ गए सब ने खूब स्नान किया और सभी ने ठाकुर साहब से नजरें बचाकर घर से लाई गई खिचड़ी सिक्के पुरानी मूर्तियाँ और पालीथीन सहित फूल,सब गंगा के हवाले कर दिया ठाकुर साहब यह सब चुपचाप देखते रह गए.लौटते समय सब बहुत प्रसन्न थे.ट्रैक्टर में बैठते ही ढोलक की थाप पर लोकगीत शुरू हुआ साल-साल घाटे पे अईबे ....बार-बार गंगा नहइबे....ठाकुर साहब मन ही मन सोचते रहे कि शायद ही इस गीत के शब्द सच हो पायें.
                                                     प्रवीण कुमार श्रीवास्तव
                                                                 फतेहपुर (.प्र.)
copyright@praveen kumar srivastav
चित्र गूगल से साभार
                                               

Thursday 4 October 2012

तन छोटा सा
आत्मा है बलवान
राह आसान

जादू या टोना
दूर क्षितिज पर
चमके सोना



Monday 1 October 2012

१.
सीमायें हारीं
प्यार न बांध सकीं
टूटीं स्वयं ही
2.
सीमा से परे
उड़ान सपनों की
पूरे-अधूरे

3.

भूल गया जो
अनुशासन-सीमा
भूला उन्नति

4.

नेह पसरा
दिल से दिल तक
सिमटी सीमा
5.
सरल हिंदी
बहती नदिया सी
तरल हिंदी
करती रससिक्त
जीवन भाव रिक्त
6.
समर्थ हिंदी
गरिमामय भूत
उज्ज्वल भावी
संवारो वर्तमान
मातृभाषा महान
7.
प्यारी मातृभू
मातृभाषा क्यूँ नहीं
सोचो तो जरा
हिंदी का अधिकार
पूरे देश का प्यार
8.
दिखलायेँगे
सपनोँ का संसार
यही सहारे
9.
दिल से दिल
प्रतीक मिलन का
हाथ मेँ हाथ
10.
जीवनसाथी
छोड़ना मत हाथ
सुख-दुःख मेँ
11.
चलते चलेँ
सुगम हुईँ राहेँ
संग तुम्हारे
12.
पीछे छोड़ दी
रिवाजोँ की बेड़ियाँ
सच्चे प्यार मेँ