Monday 8 October 2018

मुक्तक

यही है खून से सींचे हुये अभिमान की माटी
जहां हँस कर लुटाते जाँ यही बलिदान की माटी
जो माँ पर आँच ना आने दें ऐसे शेर से बेटे
जना करती है अपने देश हिंदुस्तान की माटी

माँ तेरी कृपा से हम आकाश झुका देंगे
ग़र पड़ी ज़रूरत तो खुद को भी मिटा देंगे
एक माँ तू एक माँ है अपनी भारत माता
यहाँ दीप जला देंगे वहाँ, शीश कटा देंगे

कर दें जो मन मधुर घण्टियाँ पूजिये
शक्तिरूपी कनक रश्मियाँ पूजिये
माँ को खुश करने का है तरीका सरल
भगवती रूप में बेटियां पूजिये

शान को अपनी परिंदों की शान तक रखना
हसरतें आप भी ऊँची उड़ान तक रखना
ठोस आधार का होना मगर ज़रूरी है
ज़मीं पे पाँव ख़्वाब आसमान तक रखना

शांति सद्भाव का रंग धो जायेगा
होगा अन्याय तब न्याय खो जायेगा
शक्ति का यदि अहं से हुआ मेल तो
एक रावण वहीं पैदा हो जायेगा