इश्क की जो हवा करे कोई।
दर्द से क्यूँ मरा करे कोई ।
चूम ले आसमान का चेहरा,
यूँ लहर भी उठा करे कोई।
धूप में भी ज़मी हरी रक्खे,
पौध ऐसी उगा करे कोई ।
हो सितारे ज़मीन पे रोशन,
रात से मशविरा करे कोई।
रास्ता छोड़ कर वफ़ा वाला,
किस तरह सामना करे कोई।
आँधियाँ कुछ न कर सकीं मेरा,
चुपके चुपके दुआ करे कोई।
कोई मुट्ठी में किस्मतें लाया,
हाथ अपने मला करे कोई।
:प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून
No comments:
Post a Comment