Thursday 5 May 2016

मशविरा करे कोई


इश्क की जो हवा करे कोई।
दर्द से क्यूँ मरा करे कोई ।

चूम ले आसमान का चेहरा,
यूँ लहर भी उठा करे कोई।

धूप में भी ज़मी हरी रक्खे,
पौध ऐसी उगा करे कोई ।

हो सितारे ज़मीन पे रोशन,
रात से मशविरा करे कोई।

रास्ता छोड़ कर वफ़ा वाला,
किस तरह सामना करे कोई।

आँधियाँ कुछ न कर सकीं मेरा,
चुपके चुपके दुआ करे कोई।

कोई मुट्ठी में किस्मतें लाया,
हाथ अपने मला करे कोई।
    :प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून

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