आपका एक काम अच्छा है।
ग़ैर से भी सलाम अच्छा है।
प्रेम का पाठ जो पढ़ाता है,
आपका वो कलाम अच्छा है।
रौब जो नोट का दिखाते हैं।
दूर से राम राम अच्छा है।
अब न दुश्मन ज़ुबान खोलेगा,
मुल्क़ का अब निज़ाम अच्छा है।
आपकी पूछ हर जगह होगी,
आपका तामझाम अच्छा है।
-प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून'
फतेहपुर उ.प्र.
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