Friday 28 February 2020

जताना नहीं

हम सफर में चले हैं तुम्हें छोड़कर, अपनी आखों में आँसू न लाना कभी
दर्द बेइंतेहा होगा बेशक तुम्हें तुम मगर ये किसी से जताना नहीं

मौत से मन हमारा भरा ही है कब
सच्चा हिन्दोस्तानी डरा ही है कब
हम वतन के सिपाही वतन पर फ़ना
जो वतन पर मरा वो मरा ही है कब

आग आख़िर चिता की तो बुझ जाएगी, आग सीने से अपने बुझाना नहीं

थी कसम हमको इस राह जाना ही है
मादरे हिन्द पे जाँ लुटाना ही है
एक वादा करो तुम भी ऐ साथियों
अम्न के दुश्मनों को मिटाना ही है

भूल जाना भले साँस लेना मगर, तुम ये वादा कभी भी भुलाना नहीं

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