प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून' का साहित्य को समर्पित ब्लॉग
जीवन है ये जीवन में बदलाव ज़रूरी है कभी ज़रूरी धूप तो कभी छाँव ज़रूरी है
मंज़िल मिल जायेगी बस है चलने की देरी स्वागतोत्सुक नवप्रभात निशि ढलने की देरी दृढ़ निश्चय कब बाधाएँ टिक पाती हैं अर्जुन के तरकश से तीर निकलने की देरी
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