Friday 28 February 2020

साँस चलने से हासिल ही क्या साथ जो ज़िंदगानी न हो
ऐसे दरिया क्या फ़ायदा ग़र जो दरिया में पानी न हो

ज़िंदगी भी नहीं काम की प्यार की जो कहानी न हो
और पानी भी किस काम का जिसमें कोई रवानी न हो

जब निसाँ ही न ग़म के मिटे तो खुशी बोलो कैसी खुशी
दर्द भी यार बेकार है दर्द जो आसमानी न हो

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