Tuesday 22 August 2017

खुशबुओं को

मुट्ठियों में खुशबुओं को बंद कर के आजमाओ
प्यार के अहसास शायद कैद कर पाओ

तुम दिया हो, मैं अँधेरा ही सही पर
साथ ही रहता कभी नज़रें झुकाओ

कोशिशें कर लो तुम्हे ये भी दिया मौका चलो
दिल हमारा तोड़ दो और मुस्कुराओ

मैं न बोलूँगा तुम्हें फिर लौट आने के लिये
फेर कर नज़रें न लेकिन दिल जलाओ

तुम हो रूठी जाने कब से  कुछ न बोला अब तलक
साँस है ये आख़िरी अब मान जाओ

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