प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून' का साहित्य को समर्पित ब्लॉग
याद तेरी यही दिलाता है सब्र मेरा ये आज़माता है इससे कह दो ये जाय और कहीं चाँद छत पर जो रोज़ आता है
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