कृपा अगर कर दें स्वयं, कृपा सिंधु श्रीराम।
चमके जग में नाम यूँ, जैसे तुलसी नाम।।
जीवन के सब पथ कठिन, हो जाते आसान।
तुलसी ने जग को दिया, मानस में वो ज्ञान।।
सूरज तुलसी सा मिले, जग को नवल प्रभात।
रत्न तराशे जब कभी, हुलसी जैसी मात।
:प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून'
No comments:
Post a Comment