ये' माना साथ तेरे इक दफ़ा धोखा हुआ होगा
हज़ारों चोट से गुज़रा जो' उसका क्या हुआ होगा
बहे हो अश्क़ लाखों पर लिपटकर टूट जाने को,
यकीनन एक कतरा अब तलक ठहरा हुआ होगा।
ख़रीदो बेच दो सब कुछ यहाँ मुमकिन ये' मेला है
मुहब्बत का इसी बाज़ार में सौदा हुआ होगा।
मनाने का नहीं अब हक़ तभी वो मुस्कुराता है,
तुझे क्या है पता वो किस क़दर रूठा हुआ होगा।
शिकायत क्या करूँ तुझसे ग़लत मैं भी कहीं पर हूँ,
ख़ुदा का है करम जो भी हुआ अच्छा हुआ होगा।
:प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून'
फतेहपुर उ.प्र.
08896865866
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