Monday 26 June 2017

एक था राजा एक थी रानी

बजने दे पायल की रुनझुन
कहने दे फिर वही कहानी
एक था राजा एक थी रानी

मौन की जब जब टूटी कारा
शब्दों ने तब गीत सँवारा
जब संगीत मिला गीतों से
फूट पड़ी स्मृति की धारा

गीत मेरा संगीत तुम्हारा
साज नया हो बात पुरानी

दिल मे हूक लगे तब उठने
पेड़ों पर जब पपिहा बोले
नीलगगन सी विस्तृत यादें
क्यों यादों के परदे खोले

वो पनघट की मधुरिम सुबहें
वो मधुवन की शाम सुहानी

खेल-खेल में छेड़ दिया तो
रूठी राधा कृष्ण मनाये
बात बात में बात बढ़ी यूँ
हठ कर बैठी पास न आये

यादों में वो मान मनव्वल
भूल न सकती खींचातानी
         

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