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रिश्तों में रंग फिर से चढ़ा क्यूँ नहीं लेते
गिरते हुए मकाँ को बचा क्यूँ नहीं लेते
रिश्तों में रंग फिर से चढ़ा क्यूँ नहीं लेते
गिरते हुए मकाँ को बचा क्यूँ नहीं लेते
वो हँस रहे हैं देख तुम्हें अश्क़ बहाते
ये दर्द दुश्मनों से छुपा क्यूँ नहीं लेते
ये दर्द दुश्मनों से छुपा क्यूँ नहीं लेते
बाहर जो बात जायेगी तो और बढ़ेगी
आँगन में ही ये बात बना क्यूँ नहीं लेते
आँगन में ही ये बात बना क्यूँ नहीं लेते
मौका है दूरियाँ मिटा के प्यार जगाओ
रूठे जो उनसे हाथ मिला क्यूँ नहीं लेते
रूठे जो उनसे हाथ मिला क्यूँ नहीं लेते
भूखा पड़ा जो उसको खिला करके निवाला
है बेशकीमती जो दुआ क्यूँ नहीं लेते
:प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून'
फतेहपुर उ.प्र.
है बेशकीमती जो दुआ क्यूँ नहीं लेते
:प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून'
फतेहपुर उ.प्र.
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