Tuesday 27 December 2016

जो दिया था दिल उन्हें गाता हुआ

2122 2122 212
जो दिया था दिल उन्हें गाता हुआ
मिल गया वापस मुझे टूटा हुआ
चोरियां उस रात कुछ ज़्यादा हुईं
देर तक जिस रात को पहरा हुआ
इश्क की उलझन न सुलझी यक दफा
हर दफा मैं ही मिला उलझा हुआ
अश्क़ ने अपना तआरुफ़ यूँ दिया
मैं समन्दर,  बूँद में सिमटा हुआ
अब किसी सूरत न होगा वो जुदा
है यूँ मेरी रूह से लिपटा हुआ
   :प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून'
         फतेहपुर उत्तर प्रदेश

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