प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून' का साहित्य को समर्पित ब्लॉग
माटी की गोदी बैलों का श्रम बोये मोती ही मोती
बैलों की जोड़ी अथक परिश्रम बरसे अन्न
ऐसी प्रगति बैल बेरोज़गार वक़्त की मार
ग़ुम हो गई ट्रैक्टर के शोर में बैलों की घंटी
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