'क' से किसान
---------------------
मैं 'क' से किसान हूँ
'ख' से खेती करता हूँ
'ग' से गाँव में रहता हूँ
और......
अब आप सोचेंगे 'घ' से क्या..?
तो सुनिये
'घ' से घोषणाएँ सुनता हूँ सरकारी
'क' से किसान
जो कहने को तो
आता है सबसे पहले
लेकिन वास्तविकता....
मैं हूँ 'ङ' जिसके माने होता है
कुछ नहीं....कुछ भी नहीं
नयी तकनीक ने छीन
लिया है मुझ 'क' से
जो था मेरे पास
डंडा भी और पूँछ भी
लेकिन 'ङ' बनकर
पंक्ति के सबसे अंत में
बैठे हुये
एक चीज़......शून्य
पहले भी था
और अब भी है मेरे पास
-प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून'
फतेहपुर उ.प्र.
08896865866
No comments:
Post a Comment