Sunday 13 March 2016

कम से कम

कुछ हुए काम के हादसे कम से कम।
सामने आ गए दोगले कम से कम।

वो भले आपसे दूरियाँ मानते,
आप तो प्रेम से बोलते कम से कम।

फूल सा बन, कोई तोड़ ले ग़र तुझे
दूर तक खुशबुएँ घोल दे कम से कम

ऐ ख़ुदा तू मिला दे ख़ुदा से मुझे,
इक दफा ही सही वो मिले कम से कम।

आप खंज़र लिए घूमने लग गये,
वक़्त का फ़ैसला देखते कम से कम।
     -प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून'

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