Wednesday 20 January 2016

असर कर रहा है

इत्र से ज़िस्म हो तर रहा है।
इश्क़ ऐसा असर कर रहा है।

प्यार करके उसे क्या पता है,
वो बना एक शायर रहा है।

तुम बताओ तरक्की यही है?
फेफड़ों में धुआँ भर रहा है।

मौत का एक दिन जब लिखा है,
फिर बता रोज़ क्यों मर रहा है?

दुश्मनों से निभा ले गया वो,
दोस्तों से ज़रा डर रहा है।

-प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून'
फतेहपुर उ.प्र.

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