Saturday 9 January 2016

दायरा दीजिये

अक़्स मेरा वहाँ से मिटा दीजिये।
साफ पानी ज़रा सा हिला दीजिये।

ग़र ज़रा बात पर दुश्मनी हो गई,
प्यार कैसा मुझे ये बता दीजिये।

दूसरों की कमी देखना है सरल,
आइने को कभी आइना दीजिये।

आप रखिए जमीं मैं परिंदा खुला,
एक टुकड़ा सही आसमां दीजिये।

और रिश्ते भले दायरे में रहें,
दोस्ती को बड़ा दायरा दीजिये।

प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून'
फतेहपुर उ.प्र.
8896865866

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