उम्मीद मिली एक और साल के लिये।
मासूम लम्हें थाम देखभाल के लिये।
जो बीत गया वक़्त सीख दे गया मुझे,
तैयार फिर बिसात एक चाल के लिये।
कुछ ढूँढिये खुशी उदास हो न बैठिए।
नववर्ष में नहीं जगह मलाल के लिये।
गुज़रा हुआ सफ़र सवाल पूछता रहा,
तैयार रहो और कुछ सवाल के लिये।
कुछ लोग हमें छोड़ इधर राह पर गए,
कुछ हाथ नए मिल गए मशाल के लिये।
-प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून'
फतेहपुर, उत्तर प्रदेश
08896865866
No comments:
Post a Comment