Wednesday 4 November 2015

बेवफ़ा किस्मत खड़ी उस पार है..

सब कहानी कह रहा अख़बार है।
मुश्किलों से आदमी दो चार है।
क्या समझ लूँ जो कली हँसने लगी?
क्या तुम्हारे प्यार का इज़हार है!
भ्रष्ट सिस्टम फैलता ही जा रहा,
लाइलाज़ हुआ यहाँ आजार है।
काम में नेता भले पीछे मगर,
बात लेकिन खूब लच्छेदार है।
मैं हुनर लेकर खड़ा हूँ इस तरफ़,
बेवफ़ा किस्मत खड़ी उस पार है।

-प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून'
फतेहपुर उ.प्र.

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