Tuesday 14 August 2012

कुंडलियाँ

जिनके कठिन प्रयास से,हुआ देश आजाद
देशभक्त वे वीर थे,करें उन्हें हम याद
करें उन्हें हम याद,सीख लें जीना उनसे
औरों के हित हेतु,गरल का पीना उनसे
कह प्रवीण कविराय,जियो उनके सा बनके
माथे पर था राष्ट्र,स्वर्ण ठोकर पर जिनके


बिटिया सबको नेह दे,बाँटे सबको प्यार
बिटिया से भी कीजिये, बेटे सा व्यवहार
बेटे सा व्यवहार, जगत में नाम करेगी
देश करे उत्थान, लक्ष्य संधान करेगी
कह 'प्रवीण' कविराय सोच अब त्यागो घटिया
बेटे के समकक्ष मान लो अपनी बिटिया


सावन आया संग ले,हरियाला उपहार
कुछ दिन का मेहमान है,करो अतिथि सत्कार
करो अतिथि सत्कार,संग बरखा है लाया
रिमझिम पड़ी फुहार,धरा का मन हर्षाया
कह प्रवीण कविराय,अहा कितना मनभावन
रहे साल भर यहीँ,न जाये अबकी सावन


साथी हम सब मिल करेँ, गंगा जी का मान
निर्मल रखना सुरनदी,है कर्तव्य महान
है कर्तव्य महान,करेँ ज्योँ माँ की सेवा
होगी तब समृद्धि,मिले उन्नति का मेवा
कह प्रवीण कविराय,यही है अपनी थाती
तन-मन से लग जाव,बचाओ गंगा साथी


1 comment:

  1. सभी कुंडलियाँ एक से बढ़कर एक हैं...

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