Tuesday 14 August 2012

चोरानंद


कुछ साल पहले इसी शहर मेँ एक सीधा-साधा साधु भीड़ के द्वारा मार दिया गया था।रात मे बंद दुकान के बाहर बैठे हुए साधु को देखकर भीड़ जमा हो गयी।
एक ने पूछा-''कौन हो?''
उत्तर आया साधु हूँ।
भीड़ से दूसरी आवाज उभरी
''भला कोई खुद बताएगा मैँ चोर हूँ!''
तीसरी तेज आवाज आयी
''मारो स्साले को''
कई आवाजेँ गूँजी मारो...मारो...
पब्लिक के लात-घूँसे उसकी साँसे थम जाने के बाद ही रुके।
आज इसी शहर मेँ साधु बनकर एक चोर आया है।
भीड़ जमा है
उसने ख़ुद अपना परिचय दिया
''मैँ चोर हूँ''
भीड़ से एक आवाज आयी
''वाह!कितनी सच्चाई है दिल मेँ।''
दूसरी आवाज उभरी
''सच बात है भला कौन चोर नहीँ है इस दुनिया मेँ''
तीसरी तेज आवाज आयी
''बोलो चोरानंद बाबा की....''
कई आवाजेँ एक साथ गूँजीँ
जय....
जयजयकार से पूरा शहर गूँज उठा

-प्रवीण कुमार श्रीवास्तव
फतेहपुर,उ.प्र.

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