यह छोटे से शहर
फतेहपुर का
ॐ घाट है
गंगा बेशक़ मैली हैं
यहाँ भी
पीछे से बहकर आये
महानगरीय कचरे से
लेकिन पाट
प्रदूषण मुक्त है
इस युग के
भागीरथ स्वामी विज्ञानानंद के
पवन प्रयास से
यहाँ तक अभी
मेले का कानफोड़ू शोर
चाट के ठेले की टनटनाटन भी
पहुँच नहीं पायी
और न अपसंस्कृति के
प्रदूषण को किसी ने यहाँ का
पता दिया...
घाट की सीढ़ियों
और झाड़ियों के झुरमुट में
अभी दिखायी नहीं देते
अधनंगे जोड़े
सुकून से घाट पर
चार पल सो लेने की
अभिलाषा
पूरी हो सकती है यहाँ
क्योंकि किसी पुलिस वाले
या किसी गार्ड द्वारा
पीछे से डंडा कोंचकर
निद्राभंग कर देने का भय नहीं है
और न किसी पॉकेटमार द्वारा
जेब साफ किये जाने का ही।
अशोक अर्जुन या आम पीपल
के मनोहारी वृक्ष के नीचे
कुछ पल
स्वयं को ढूढ़ लेना
अभी यहाँ संभव है
क्योंकि अभी बर्गर और पावभाजी
कोल्ड्रिंक और पिज़्ज़ा
वाले लड़के
आपके ध्यान को भंग नहीं करेंगे
क्योंकि कैन्टीन
अभी यहाँ का रास्ता खोज नहीं पायी
महादेव को निहार सकते हैं आप
तब तक जब तक आत्मतृप्ति न हो
क्योंकि अभी लुटेरे पण्डे द्वारा
आपका हाथ पकड़ कर
आगे बढ़ा दिए जाने का डर नहीं है
आराम से आप गंगाजल या
दूध अर्पित कर सकते हैं
आराध्य को
और अभी मेरी गारंटी है कि
दूध या गंगाजल
आपके पीछेवाले के धक्के से
आपके आगेवाले आदमी के
सिर पर
नहीं चढ़ेगा
केवल
आने और जाने का किराया
अगर है आपके पास
तो भी आप ॐ घाट
पर आकर गंगास्नान
कर सकते हैं
क्योकिं यहाँ
प्रसाद चढाने की
अनिवार्यता नहीं है
क्या कहा???
खरीदकर गंगा में फूल फेंकने
की अनिवार्यता
नहीं नहीं
आपको विश्वास हो या न हो
प्रतिबंधित है...
:प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून'
फतेहपुर उ.प्र.
8896865866
Monday 26 June 2017
ॐ घाट
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