रात के बाद ये लगा कुछ कुछ
अब उजाले से राब्ता कुछ कुछ
चल पड़ा आज जब अकेला मैं,
खुल रहा एक रास्ता कुछ कुछ
मौत का खौफ़ हो गया जिस शब,
बस उसी रात मैं जिया कुछ कुछ
अब दवा का असर दिखा मुझ पर
काम करने लगी दुआ कुछ कुछ
दरमियाँ दूरियाँ हुईं जब से,
ख़्वाब इक टूटता लगा कुछ कुछ
©प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून'
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