Sunday 28 August 2016

दिखा कुछ कुछ

रात के बाद ये लगा कुछ कुछ
अब उजाले से राब्ता कुछ कुछ

चल पड़ा आज जब अकेला मैं,
खुल रहा एक रास्ता कुछ कुछ

मौत का खौफ़ हो गया जिस शब,
बस उसी रात मैं जिया कुछ कुछ

अब दवा का असर दिखा मुझ पर
काम करने लगी दुआ कुछ कुछ

दरमियाँ दूरियाँ हुईं जब से,
ख़्वाब इक टूटता लगा कुछ कुछ
         ©प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून'

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