प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून' का साहित्य को समर्पित ब्लॉग
ऐसा भी क्या डर भला जो ले जीवन छीन। जिओ सदा ही मस्त हो रहो भले दिन तीन।
No comments:
Post a Comment