कभी दो चार दिन रोटी बिना तू भी गुजर कर।
जमीं पर आ गिरेगा आसमानों से उतर कर।
हमारे मुल्क का मॉडल वहाँ तुझको मिलेगा,
कभी तू ट्रेन में जनरल टिकट लेकर सफर कर।
तुझे मैंने दिया जो दिल मोहब्बत से भरा था,
कहाँ ग़ुम हो गया है ले उसे कुछ तो ख़बर कर।
लगा सीने उसे बच्चा बहुत नादान वो भी,
खड़ा है डाँट खाकर जो 'बेचारा दूर डर कर।
नज़र से ही न हर यक की उतर जाये किसी दिन,
इधर की बात सुनकर बेवज़ह तू मत उधर कर।
-कॉपीराइट@
प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून
Saturday 12 December 2015
जमीं पर आ गिरेगा
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