प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून' का साहित्य को समर्पित ब्लॉग
अभी तो ज़िन्दगी के दिन बहुत चलो हम ज़िन्दगी को जीत डालें
अंधेरे में करें चलके उजाले किसी के पांव के कांटे निकालें
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