Tuesday 22 August 2017

221 1221 1221 122
जो लोग किसी और का हक़ खाये हुए हैं।
वो आज  किसी  बात से  घबराये  हुए  हैं।

कल तक जो मुस्कुरा रहे थे जाने क्या हुआ
कुछ बात तो है आज तमतमाये हुए हैं।
 
बेकाम तिज़ोरी में रहा बंद जो पैसा
वो आज निकलने की गिरह ढूढ़ रहा है

अब तक तो लूटता रहा वो दोनों हाथ से
क्यों है कुबेर अब वो वज़ह ढूढ़ रहा है

माथे पे ग़रीबों के रहा है जो पसीना,
चेहरे पे अमीरों के जगह ढूंढ रहा है

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