प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून' का साहित्य को समर्पित ब्लॉग
चोट से काँच का सामान बिखर जाता है वक़्त मुँह मोड़ ले अरमान बिख़र जाता है और तूफ़ान में गिरकर के सँभल भी जाये इश्क़ में हार के इन्सान बिखर जाता है : प्रवीण 'प्रसून'
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