Wednesday 1 June 2016

दोहा

बहुत कठिन कैसे कहूँ, कितना माँ का प्यार।
थोड़ी कोशिश कर रहा, जैसे जग विस्तार।।

-प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून'

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