बिनु मसि बिनु कागद
प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून' का साहित्य को समर्पित ब्लॉग
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Friday 7 December 2012
पाँच हाइकू सम्माननीय किसान बंधुओं के लिए-
और की भूख
परिणाम सम्मुख
भूमि बंजर
भूमि है माता
भर देगी उदर
प्यार तो कर
पाले उदर
दवा के नाम पर
दे ना ज़हर
चला फावड़ा
कृषिभूमि में सच
स्वर्ण है गड़ा
पसीना बहा
खेत का है संदेश
आँसू ना बहा
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