Thursday 5 January 2012

चुनावी चोखा


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शुरू चुनावी भागम-भाग
जंगल में फिर लगी है आग
बहुत दिनों तक मजे काट कर
बिल से फिर निकले हैं नाग 
        2
पहले पूरी खा जाने को 
इक दूजे की काट करेंगे 
नहीं बनेगा काम अगर तो 
आपस में जोड़-गाँठ करेंगे 
चित भी अपनी पट भी अपनी 
मिलजुल बन्दर बाँट करेंगे 
        3
चार दिनों की दौड़ भाग कर 
ताज पहन कर वो जायेंगे
पांच साल फिर हँसते हँसते
हमको टोपी पहनाएंगे
        4
लगा चुनावी मेला है,
बिजली पानी सड़कों के,
वादों का फिर रेला है.
कई तमासे वाले हैं,
सबकी बंशी इधर बजी.
भ्रष्टाचार मिटने वाली,
एक नयी दूकान सजी. 
बम्पर सेल हुई सपनों की,
सबकी दूकानें खाली.
जिसके पास नहीं था कुछ भी,
उसने शर्म बेंच डाली.
हमको कुछ भी रास न आया,
मेला लगे झमेला है.

3 comments:

  1. बाटी के साथ ई चोका नीक लागी !
    जय जय हिंदी ब्लॉग जगत में स्वागत है फतेहपुरी मित्र !

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  2. चोका को चोखा पढ़ा जाए !



    और नाम-राशि भाई ई कमेन्ट करने में वर्ड वेरिफिकेशन को हटाइये नहीं तो लोग और नहीं आ पायेंगे !

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  3. चुनावी मौसम में इतनी चोखी और चटख इंट्री का ब्लॉग जगत में स्वागत है !

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